APNAPAN



Insaan dhundne chala, apnepan ki talaash mein
phir bhi nahin mil paaya apnapan...

Dhundte hai use apne antarmann mein
tyaag dete hai, apne hi samay aane par...

Nahi hai, apnapan apne hi logo mein
isi aas par jivan vayteet hota hai...

Shaayad kisi pal kisi samay mil jaaye apnapan
fir bhi nahin mil paata apnapan....

Yeh kaisi talash hai............???

Comments

Vikrant Bhatia said…
किसी के इतने पास न जा

के दूर जाना खौफ़ बन जाये

एक कदम पीछे देखने पर

सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये


किसी को इतना अपना न बना

कि उसे खोने का डर लगा रहे

इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये

तु पल पल खुद को ही खोने लगे


किसी के इतने सपने न देख

के काली रात भी रन्गीली लगे

आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो

जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे


किसी को इतना प्यार न कर

के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये

उसे गर मिले एक दर्द

इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये


किसी के बारे मे इतना न सोच

कि सोच का मतलब ही वो बन जाये

भीड के बीच भी

लगे तन्हाई से जकडे गये


किसी को इतना याद न कर

कि जहा देखो वोही नज़र आये

राह देख देख कर कही ऐसा न हो

जिन्दगी पीछे छूट जाये


ऐसा सोच कर अकेले न रहना,

किसी के पास जाने से न डरना

न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,

खुद की परछाई देख बोलोगे "ये हम नही

Popular posts from this blog

कल्पना